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मई 2020 में ब्रिटेन कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था। देशभर में लॉकडाउन लगा था। लोगों को कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करने के लिए कहा जा रहा था। उसी दौर में ब्रिटिश पीएम अपने घर और दफ्तर में पार्टी कर रहे थे।
हम लोगों के यहां कुछ बड़ा हो जाए जो कहते हैं कांड हो गया। अंग्रेजी में इसके लिए गेट शब्द का इस्तेमाल करते हैं। आपने वॉटरगेट के बारे में सुना होगा जब अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी हिल गई थी। उसके बाद से जो भी कांड होता है अमेरिका में उसे गेट कह देते हैं। इन दिनों ब्रिटेन में पार्टी गेट कांड की चर्चा खूब चल रही है। ये कांड इतना बड़ा है कि लोगों को लगता है कि ब्रिटिश पीएम की कुर्सी चली जाएगी। इल्जाम ही बड़े संगीन से जो लगे हैं। मई 2020 में ब्रिटेन कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था। देशभर में लॉकडाउन लगा था। लोगों को कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करने के लिए कहा जा रहा था। उसी दौर में ब्रिटिश पीएम अपने घर और दफ्तर में पार्टी कर रहे थे। इतनी शराब पार्टी चली उनके दफ्तर में की कालीन तक बदलनी पड़ गई। दो साल से थोड़ा अधिक समय पहले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कंजरवेटिव पार्टी को दशकों में अपनी सबसे बड़ी चुनावी जीत दिलाई। लेकिन अब ब्रिटेन के पहले और भयंकर कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में शराब पार्टी को लेकर उन्हें माफी मांगने की नौबत तक आ गई। पुलिस द्वारा अन्य आंतरिक जांच के बाद ऐसा लग रहा है कि जॉनसन मुश्किल में हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कितनी परेशानी मैं है और आगे क्या हो सकता है जैसे तमाम सवालों के जवाब इस रिपोर्ट के जरिए देंगे।
ब्रिटिश पीएम को कैसे हटाया जा सकता है?
शराब पार्टी से आगे और भी बहुत कुछ?
जॉनसन के सांसद उन्हें बाहर करने के लिए कर सकते मजबूर?
कैबिनेट उन्हें कमजोर कर सकती है?
दबाव के आगे झुक जाएंगे जॉनसन?
जॉनसन पहले भी कर चुके हैं वापसी
आगे और भी परेशानी है?
ब्रिटिश पीएम को कैसे हटाया जा सकता है
संवैधानिक संकट के दो पहलू हैं। पहला है संसद में झूठ बोलने का मामला। प्रधान मंत्री का दावा है कि मई की सभा एक ‘‘कामकाजी कार्यक्रम’’ थी और इसलिए इसे उस समय के ‘‘तकनीकी रूप से मार्गदर्शन के भीतर’’ कहा जा सकता है। ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन को नेतृत्व की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है यदि संसद के 15% रूढ़िवादी सदस्य (सांसद) विश्वास मत की मांग करते हुए पत्र लिखते हैं। विश्वास मत के दौरान जॉनसन को अपने सांसदों के साथ ही 181 मतों का समर्थन चाहिए होगा। उम्मीदवारों को चाहिए दो सांसदों का समर्थन। यदि अगर एक उम्मीदवार आगे आता है तो वो पार्टी का नया नेता बन जाता है।
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शराब पार्टी से आगे और भी बहुत कुछ
देशभर में लॉकडाउन लगा था। लोगों को कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करने के लिए कहा जा रहा था। उसी दौर में ब्रिटिश पीएम अपने घर और दफ्तर में पार्टी कर रहे थे। वरिष्ठ सिविल सेवक सू ग्रे को पूरे मामले की जांच सौंपी गई। पुलिस द्वारा जिन कार्यक्रमों के बारे में जांच की जा रही है उनमें जॉनसन के लिए जून 2020 की जन्मदिन की पार्टी और अप्रैल 2021 में प्रिंस फिलिप के अंतिम संस्कार की पूर्व संध्या पर आयोजित दो सभाएं समेत 16 घटनाएं शामिल हैं। जॉनसन की एक तस्वीर सामने आने के बाद जिसमें स्पार्कलिंग वाइन की एक खुली बोतल के साथ नजर आ रहे थे। अपनी रिपोर्ट में ग्रे ने निष्कर्ष निकाला कि नेतृत्व और निर्णय की विफलताओं ने ऐसी चीजों को होने दिया, जिन्हें होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। पिछले हफ्ते जॉनसन द्वारा ग्रे के शुरुआती निष्कर्षों के बारे में बात करने के बाद उनकी ही पार्टी के एक सांसद ने अपनी दादी के अंतिम संस्कार के लिए किए गए कड़े प्रबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि “क्या प्रधानमंत्री मुझे मूर्ख समझते हैं?”निष्कर्ष पूरी रिपोर्ट के बजाय अपडेट का हिस्सा है। पुलिस के अनुरोध पर निष्कर्षों के प्रमुख अंशों को रोककर रखा गया है, क्योंकि पुलिस मामले में अलग से जांच कर रही है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यालय ने वादा किया है कि रिपोर्ट ‘जल्द’ प्रकाशित की जाएगी। अतीत में, इस अपराध के परिणामस्वरूप न केवल मंत्रियों को फ्रंट बेंच से बर्खास्त किया गया है, बल्कि सांसदों को भी संसद से पूरी तरह से निष्कासित कर दिया गया है। 1963 का प्रोफुमो मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है। जब सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर वार जॉन प्रोफुमो ने क्रिस्टीन कीलर के साथ अपने विवाहेतर संबंध के बारे में संसद से झूठ बोला, तो उन्हें संसद छोड़नी पड़ी। इस घोटाले ने अंततः सरकार को गिरा दिया।
इतिहास में पीएम पद छोड़ने के मामले
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से ब्रिटेन में 15 प्रधान मंत्री हो चुके हैं। उनके पद छोड़ने का सबसे आम कारण चुनाव हारना था। 1945 में विंस्टन चर्चिल, 1951 में क्लेमेंट एटली, 1963 में एलेक डगलस-होम, 1974 में एडवर्ड हीथ, 1979 में जिम कैलाघन, 1997 में जॉन मेजर और 2010 में गॉर्डन ब्राउन के साथ ऐसा हुआ – ये सभी आम चुनाव हार गए। हम डेविड कैमरन को 2016 में यूरोपीय संघ के जनमत संग्रह में हारने के बाद से सूची में जोड़ सकते हैं, और थेरेसा मे को भी क्योंकि वह 2019 में यूरोपीय संसद चुनाव हारने के बाद पद गंवा बैठी थीं। 1945 में विंस्टन चर्चिल, 1951 में क्लेमेंट एटली, 1963 में एलेक डगलस-होम, 1974 में एडवर्ड हीथ, 1979 में जिम कैलाघन, 1997 में जॉन मेजर और 2010 में गॉर्डन ब्राउन के साथ ऐसा हुआ – ये सभी आम चुनाव हार गए। हम डेविड कैमरन को 2016 में यूरोपीय संघ के जनमत संग्रह में हारने के बाद से सूची में जोड़ सकते हैं, और थेरेसा मे को भी क्योंकि वह 2019 में यूरोपीय संसद चुनाव हारने के बाद पद गंवा बैठी थीं। इस्तीफा देने का दूसरा सबसे आम कारण खराब स्वास्थ्य था। यह बताता है कि चर्चिल ने अप्रैल 1955 में अपने दूसरे कार्यकाल से क्यों इस्तीफा दे दिया। यह भी बताता है कि उनके उत्तराधिकारी एंथनी ईडन ने जनवरी 1957 में इस्तीफा क्यों दिया। 1956 के स्वेज संकट के बाद उनका नर्वस ब्रेकडाउन हो गया था जब ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल नेमिस्र पर आक्रमण किया था क्योंकि मिस्र के राष्ट्रपति गामेल अब्देल नासिर ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। एक अन्य मामला हेरोल्ड विल्सन का था, जिन्होंने मार्च 1976 में ऐसे समय में इस्तीफा देकर अधिकांश पर्यवेक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया था जब कोई विशेष संकट नहीं था। बाद में यह पता चला कि वह अपने स्मृति लोप और आसन्न डिमेंशिया के बारे में चिंतित था, जो अंततः उन्हें हो भी गया।
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जॉनसन के सांसद उन्हें बाहर करने के लिए मजबूर कर सकते
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री से छुटकारा पाना कठिन है, लेकिन असंभव भी नहीं। देश का सर्वोच्च पद को संसदीय बहुमत वाले राजनीतिक दल के नेता को जाता है। पार्टी अपने नेता को हटा सकती है और आम चुनाव के बिना प्रधानमंत्रियों को बदलकर दूसरे को चुन सकती है। भारत में जिस तरह से लोकसभा का चुनाव होता है उसी प्रकार ब्रिटेन में लोग हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए अपने सांसद को चुनते हैं। ब्रिटेन में कुल 650 संसदीय क्षेत्र हैं। इनमें से 533 क्षेत्र इंग्लैंड, 59 स्कॉटलैंड, 40 वेल्स और 18 नॉर्दर्न आयरलैंड में हैं। अमूमन जिस पार्टी की सीटें ज्यादा होती हैं वही ब्रिटेन में सरकार बनाती है। ब्रिटेन में मुकाबला कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी के बीच होता है। इसके अलावा लिबरल डेमोक्रेट्स, स्कॉटिश नैशनल पार्टी भी मैदान में होते हैं। ब्रिटेन में बहुमत का आंकड़ा 326 का है। साल 2019 में बोरिस जॉनसन की पार्टी कंजर्वेटिव टोरी को 364 सीटें प्राप्त हुई। जबकि लेबर पार्टी 203 सीटें ही मिली। कंजर्वेटिव पार्टी के नियमों के तहत जॉनसन के खिलाफ 54 औपचारिक सदस्य लिखित में अनुरोध करने पर ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। अनुरोध पत्र गोपनीय होते हैं। केवल एक लॉ मेकर को ही इस बारे में पता होता है। इस मुद्दे पर तब तक चर्चा नहीं किया जाता जब तक कि मतदान का समय नहीं हो जाता। गुप्त मतदान द्वारा आयोजित एक अविश्वास मत में जॉनसन कंजरवेटिव सांसदों के साधारण बहुमत को जीतकर अपना काम बनाए रख सकते हैं। अब तक संसद के अपेक्षाकृत कुछ कंजर्वेटिव सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से जॉनसन को पद छोड़ने का आह्वान किया है। क्रिश्चियन वेकफोर्ड ने पार्टी छोड़ विपक्षी लेबर पार्टी में शामिल होने का ऐलान किया।
कैबिनेट उन्हें कमजोर कर सकती है
जॉनसन को 12 जनवरी को संसद में माफी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा, जब वह इस बात के स्पष्ट सबूतों से इनकार नहीं कर सके कि यूके में सख्त लॉकडाउन के दौरान उनके कर्मचारी 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बगीचे में एक बड़े समूह में एकत्र हुए थे। इतिहास में मंत्रिमंडल के बगावति तेवर प्रधानमंत्रियों को अस्थिर करते रहे हैं और उन्हें पद छोड़ने पर मजबूर भी किया है। मार्गेट थैचर को पोल टैक्स लगाने के उनके फैसले के बाद के घटनाक्रम के बाद उनकी ही पार्टी ने 1990 में बर्खास्त कर दिया था। हफ्तों की उथल-पुथल के बाद सरकार पर नियंत्रण फिर मजबूत करने की कोशिश के तहत जॉनसन ने नए अधिकारियों की नियुक्ति का कदम उठाया है। उन्होंने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री स्टीव बार्कले को अपना नया ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ नियुक्त किया है। जॉनसन को बीते दिनों तब बड़ा झटका लगा था जब विवाद बढ़ते देख जॉनसन के कार्यालय के पांच शीर्ष अधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। एक दशक से अधिक समय तक जॉनसन के साथ काम करने वाले डाउनिंग स्ट्रीट के वरिष्ठ सलाहकार मुनीरा मिर्जा ने पिछले हफ्ते उन पर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने 2020 में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के जन्मदिन पर डाउनिंग स्ट्रीट में आयोजित एक दावत में शामिल होने की बात कथित रूप से स्वीकार कर ली है, लेकिन उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि जब वह कक्ष में घुसे तो क्या हुआ था। न्होंने स्वीकार किया कि डाउनिंग स्ट्रीट में लॉकडाउन के दौरान हुई दावतों को लेकर उपजे विवाद ने सरकार पर जनता के विश्वास को कम किया है। लेकिन, भारतीय मूल के सुनक ने कहा कि उनका मानना है कि यह विश्वास फिर से बहाल हो जाएगा। सुनक ने कहा कि वह प्रधानमंत्री जॉनसन का पूरा समर्थन करते हैं, जो इस वक्त इस्तीफे का दबाव झेल रहे हैं। उन्होंने जॉनसन की जगह खुद को प्रधानमंत्री बनाए जाने की बातों को दरकिनार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने दावतों के बारे में हमेशा सच बोला है।
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दबाव के आगे झुक जाएंगे जॉनसन
बोरिस जॉनसन ने पत्रकार, सांसद, मेयर और विदेश मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया है। उनके समर्थन वाले लोग कहते हैं कि उन्हें मिलना-जुलना बहुत पसंद है। शायद यहीं उनके आकर्षण का राज है। ब्रेक्जिट कैंपेन के दौरान उनकी सभाओं में भारी भीड़ जुटती थी। लेकिन आजकल चीजें बिल्कुल वैसी नहीं हैं। ये और बात है कि नेताओं को अभी भी अपनी शर्तों पर जाने के लिए राजी किया जा सकता है। थेरेसा मे को भी क्योंकि वह 2019 में यूरोपीय संसद चुनाव हारने के बाद पद गंवा बैठी थीं। 2007 में डाउनिंग स्ट्रीट से लेबर पार्टी के प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर को बेदखल करने के लिए मंत्री पद के इस्तीफे के साथ इसी तरह के दबाव का इस्तेमाल किया गया था।
जॉनसन पहले भी कर चुके हैं वापसी
विपदाओं से पार पाना प्रधानमंत्री के परिभाषित कौशल में से एक है। ब्रिटेन के पूर्व पीएम डेविड कैमरन ने एक बार जॉनसन को “ग्रीस पिगलेट” के रूप में वर्णित किया था। उनके करियर में बर्खास्तगी और अपमान की कोई कमी नहीं रही है, लेकिन प्रत्येक के बाद जीत ही मिली है। 2004 में उन्हें अपने पत्रिका में अपने लेख के लिए लिवरपुल के लोगों से माफी मांगनी पड़ी थी। इस लेख में इराक में बंधक बनाए गए ब्रटिश नागरिक की हत्या पर लिवरपूल के लोगों की प्रतिक्रिया की उन्होंने कड़ी आलोचना की थी। 2004 में उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी से निकाल दिया गया था। उनके ऊपर अपने लव अफेयर के बारे में सच छुपाने का आरोप था। वर्तामन में इस स्थिति से पार पाने के लिए जॉनसन को कैबिनेट के इस्तीफे को रोकने और अविश्वास मत की मांग करने वाले पत्रों को रोकने की जरूरत है। वह योजना से पहले शेष कोविड प्रतिबंधों को हटाकर, विशेष रूप से अपने सांसदों के बीच लोकप्रियता हासिल करने की भी उम्मीद करेंगे।
आगे और भी परेशानी है
डाउनिंग स्ट्रीट पार्टियों पर संकट के अलावा सरकार के लिए मुश्किलें और भी हैं। ऊर्जा बिल बढ़ रहे हैं, मुद्रास्फीति बढ़ रही है और ब्याज दरों में वृद्धि हुई है और इसके साथ ही जॉनसन करों को बढ़ाने वाले हैं। सर्वेक्षण व्यक्तिगत रूप से जॉनसन के लिए समर्थन में भी गिरावट देखने को मिली है। जिसका असर उनकी पार्टी के ग्राफ पर भी पड़ता दिख रहा है। कुछ हालिया सर्वेक्षणों ने कंजरवेटिव को लेबर से 10 अंक पीछे रखा है। जॉनसन 2019 में प्रधानमंत्री बने क्योंकि उनकी पार्टी ने सही ढंग से फैसला किया कि वह उन्हें आम चुनाव में जीत दिलाएंगे। लेकिन अगर उनकी पार्टी को लगता है कि पार्टी को अगले चुनाव में नुकसान होने वाला है तो फिर तो पीएम पद पर जॉनसन के दिन गिनते के ही रह जाएंगे।
-अभिनय आकाश
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