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बॉलीवुड एक्टर परेश रावल एक ऐसे अभिनेता हैं, जो जिस किरदार को निभाते हैं उसमें जान डाल देते हैं. बात चाहे ‘हेरा फेरी’ के ‘बाबूराव’ के किरदार की हो या ‘मालामाल वीकली’ के ‘लीलाराम’ की, उनके द्वारा निभाया गया हर किरदार यादगार और बेमिसाल है. साल 2000 में आई अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल स्टारर कॉमेडी फिल्म ‘हेरा फेरी’ ने सफलता के नए रिकॉर्ड कायम किए थे. फिल्म की सफलता को देखते हुए साल 2006 में फिल्म का सीक्वल ‘फिर हेरा फेरी’ आया. फिल्म के सीक्वल को भी फैंस ने काफी पसंद किया. अब इसी फिल्म के तीसरे पार्ट का फैंस को बेसब्री से इंतजार हैं. फिल्म का तीसरा पार्ट कब आएगा ? अभी इसकी तो कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन परेश रावल इस किरदार को निभाने के लिए कितने तैयार हैं, इस पर उनका एक बयान जरूर सामने आया है.
एक इंटरव्यू में परेश रावल ने अपने किरदार ‘बाबूराव’ को लेकर कहा कि अगर उन्हें फिर से वही चश्मा और धोती पहनकर चलना पड़े, तो वो सिर्फ पैसों के लिए ही एक्साइटेड होंगे. दरअसल, इंटरव्यू में जब परेश रावल से पूछा गया कि अगर ‘हेरा फेरी’ या ‘अंदाज अपना अपना’ का कोई सीक्वल बनता है, तो वो इन किरदारों को निभाने के लिए कितने एक्साइटेड होंगे ? इस सवाल के जवाब में एक्टर ने कहा, “अगर मुझे इस किरदार के लिए फिर से चश्मा और धोती पहनकर चलना पड़ा, तो फिर मैं पैसे से ज्यादा और किसी चीज के लिए एक्साइटेड नहीं होउंगा.”
‘लगे रहो मुन्ना भाई’ है सीक्वल फिल्मों का बेहतरीन उदाहरण- परेश रावल
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एक्टर ने कहा, ”मुन्ना भाई एमबीबीएस’ का सीक्वल ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ सीक्वल फिल्मों का एक बेहतरीन उदाहरण है. फिल्मों का सीक्वल ऐसा ही होना चाहिए.” वहीं, उन्होंने सीक्वल फिल्मों के लिए अपने रोल के बारे में बात करते हुए कहा कि जब तक फिल्मों का बैकग्राउंड अलग न हो तब तक वो किसी भी किरदार को लेकर एक्साइटेड नहीं होंगे.00000
परेश रावल ने कहा, “अगर हम कई सालों के बाद हेरा फेरी का सीक्वल बनाएंगे और वोभी वही घिसे पिटे जोक्स के साथ तो ये नहीं चलेगी. उसमें बदलाव होना चाहिए तभी मैं फिल्म के लिए एक्साइटेड दिखूंगा. वरना वही चबाया हुआ निवाला फिर से चबाना है. ये मुझे उतना उत्साहित नहीं करेगा.
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