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डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 10 फरवरी से होनी है। जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल डोर टू डोर कैंपेन में लगे हुए हैं। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यूपी की चुनावी सियासत में गरमी बढ़ती जा रही है। यूपी चुनाव में अबकी बार माना यही जा रहा है कि मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में होगा।
हालांकि आगामी 10 मार्च को मतगणना के बाद सारी तस्वीरें स्पष्ट हो जाएंगी कि कौन सत्ता पर राज करेगा। यूपी विधानसभा चुनाव में अबकी बार दो प्रमुख पार्टियां अपनी चुनावी रणनीतियों के साथ मैदान में उतरी हैं। एक तरफ बीजेपी हिंदुत्व कार्ड तो दूसरी तरफ सपा ओबीसी कार्ड को लेकर सियासी समीकरण बैठाने में जुटी है। इन सभी मुद्दों पर बस यही सवाल उठता है कि अबकी बार चुनावी संग्राम में किसका कार्ड चलेगा?
सपा अपनी पुरानी छवि सुधारने में जुटी
गौरतलब है की अबकी बार अखिलेश यादव पूरी तरह से पार्टी की छवि को बदलने में लगे हैं। जब मुलायम सिंह यादव के हाथ में सपा की कमान थी, तो अक्सर सपा पर आरोप लगता था कि यह पार्टी मुस्लिम-यादव गठजोड़ वाली बन गई थी। लेकिन जब से मुलायम सिंह यादव सक्रिय राजनीति से बाहर हुए तभी से अखिलेश यादव ने पार्टी के ऊपर लग रहे इन आरोपों से बचने के लिए पुरानी छवि को बेहतर करने पर पूरा जोर दिया।
अबकी बार यूपी विधानसभा चुनाव में जाट नेता जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन किया है। उधर ओबीसी के बड़े चेहरा माने जाने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्या को बीजेपी से तोड़कर अपने पाले में मिला लिया। अखिलेश ओबीसी नेताओं को लेकर लोकलुभावनी घोषणाएं भी कर रहे है। इन सभी चीजों को देखते हुए राजनीतिक गलियारों में अब यही कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश पार्टी को पुरानी छवि से बाहर निकालने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
ये जातियां भी सपा के समर्थन में
अखिलेश यादव ने अबकी बार विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है और हर जातियों को अपने पक्ष में लाने में जुटे हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में फतेहाबाद से सपा के समर्थक भावसिंह गुर्जर कहते हैं कि सपा की रणनीति काम कर रही है। हमारे समर्थकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मौर्य, अन्य पिछड़ी जातियों के साथ मेरे साथ जाट समुदाय भी है।
गौरतलब है कि ये जातियां बीते 2017 व 2019 के चुनाव में भाजपा के साथ चली गई थी। अब वापस सपा की तरफ लौट रही हैं। सपा के कई समर्थकों का मानना है कि ओबीसी ही नहीं बल्कि दलित जातियां भी सपा-आरएलडी की सरकार में वापसी चाहती हैं।
बीजेपी चल रही हिंदुत्व कार्ड
यूपी विधानसभा चुनाव में अबकी बार बीजेपी की राजनीति हिंदुत्व व राम मंदिर निर्माण के इर्द-गिर्द घूम रही है। बीजेपी की नैया अबकी बार इन्हीं मुद्दो पर टिकी है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिमी यूपी के कैराना में डोर-टू-डोर अभियान कर लोगों से मुलाकात की और बीजेपी के लिए वोट भी मांगे। हालांकि इस दौरान भी पलायन का मुद्दा ही सबसे आगे थे।
जो 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से घर छोड़कर चले गए थे। फिर भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद घर लौटे हैं। अमित शाह अपने दौरों में उन सभी पीड़ितों से मुलाकात भी की थी। इससे साफ हो जाता है कि बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने में पीछे नहीं हटने वाली है।
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