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आज देश में ग्रामीण विकास को आंकने का पैमाना बदल रहा है एवं अब इसमें विभिन्न क्षेत्रों में आधारभूत ढांचा के विकास पर फोकस बढ़ता नजर आ रहा है। स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा व्यवस्था, रोड, रेल्वे, फिजीकल एवं डिजिटल आधारभूत ढांचा के विकास की भी बात की जाने लगी है।
आज भी देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामों में निवास करती हैं इसलिए अक्सर यह कहा जाता है कि भारत गांव में बसता है। यह कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत में ग्रामीण विकास का मुद्दा सीधे सीधे देश के विकास से जुड़ा है और भारत में ग्रामीण विकास सबसे अधिक महत्व रखता है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के आम बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से गांव, गरीब और किसानों पर फोकस किया गया था। इसमें किसानों की आय बढ़ाने, कृषि बाजारों को उदार बनाने और किसानों को समर्थन देने की बात कही गई थी। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट में भी ग्रामीण विकास पर विशेष जोर दिया जाएगा, क्योंकि देश के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना हम सभी का कर्तव्य बनता है।
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कोरोना महामारी के दौरान केवल कृषि क्षेत्र ही एक ऐसा क्षेत्र रहा था जिसने विकास दर हासिल की थी अन्यथा उद्योग एवं सेवा क्षेत्र ने तो ऋणात्मक वृद्धि दर हासिल की थी। कृषि क्षेत्र में 1 प्रतिशत वृद्धि दर अन्य क्षेत्रों में 2 से 3 प्रतिशत की वृद्धि दर के बराबर है क्योंकि भारत में कृषि क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र की श्रेणी में गिना जाता है एवं अन्य क्षेत्र सहायक क्षेत्र की श्रेणी में गिने जाते हैं। जब प्राथमिक क्षेत्र में उत्पादों की मांग मजबूत होगी तभी सहायक क्षेत्रों के विकास में भी गति आएगी। इस दृष्टि से भी ग्रामीण इलाकों पर विशेष फोकस किए जाने की आवश्यकता है।
आज देश में ग्रामीण विकास को आंकने का पैमाना बदल रहा है एवं अब इसमें विभिन्न क्षेत्रों में आधारभूत ढांचा के विकास पर फोकस बढ़ता नजर आ रहा है। स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा व्यवस्था, रोड, रेल्वे, फिजीकल एवं डिजिटल आधारभूत ढांचा के विकास की भी बात की जाने लगी है। उदाहरण के तौर पर नई दिल्ली मुंबई के बीच एक नया राजमार्ग बनाया जाकर आधारभूत ढांचा खड़ा करने के प्रयास किए जा रहे हैं, इससे इसके क्षेत्र में आने वाले कई पिछड़े जिलों के ग्रामीण इलाकों के विकास में तेजी आने की पूरी सम्भावना व्यक्त की जा रही है। आज देश में पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर विशेष फोकस किया जा रहा है। कुल मिलाकर यदि ग्रामीण विकास की सम्भावनाओं को तलाशा जाय तो आज इंटीग्रेटेड रूप से विकास के पैमानों को आंकना होगा। दरअसल भारत में आज भी कई ग्रामीण इलाकों में आधारभूत ढांचा बहुत कम विकसित हो पाया है चाहे वह फिजीकल आधारभूत ढांचा हो, डिजिटल आधारभूत ढांचा हो अथवा स्वास्थ्य सेवाओं एवं शिक्षा व्यवस्था से सबंधित आधारभूत ढांचा हो। हालांकि अब कोरोना महामारी के बाद से देश के ग्रामीण इलाकों में भी आधारभूत ढांचा को तेजी से विस्तारित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट के माध्यम से ग्रामीण इलाकों के आधारभूत ढांचा को विकसित किए जाने के प्रयास तेज किए जाने की भरपूर सम्भावना है।
दूसरे, ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे लोगों की आय केवल कृषि क्षेत्र से नहीं आती है बल्कि उनकी कुल आय का एक बहुत बड़ा भाग इन इलाकों में की जा रही अन्य गतिविधियों से भी आता है। एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 40 प्रतिशत आय कृषि कार्यों से अर्जित की जाती है एवं शेष 60 प्रतिशत आय कृषि के अलावा किया जा रहे अन्य सेवा क्षेत्र एवं कुटीर उद्योग के कार्यों से अर्जित की जाती है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में अब कृषि क्षेत्र के अलावा अन्य सेवा क्षेत्रों एवं कुटीर उद्योग के विकास पर भी इस आम बजट के माध्यम से विशेष फोकस किया जाएगा।
तीसरे, भारत में एमजीनरेगा योजना के लागू किए जाने के बाद से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के कई नए अवसर निर्मित किए जा रहे हैं एवं इस योजना के अंतर्गत जिन लोगों को रोजगार प्रदाय किया जा रहा है उनके कौशल विकास के बारे में यदि गम्भीरता से विचार किया जाय तो इन लोगों की उत्पादकता में बहुत अधिक वृद्धि की जा सकती है। अतः वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट में न केवल एमजीनरेगा योजना के अंतर्गत राशि का आबंटन बढ़ाया जाएगा बल्कि इस योजना के अंतर्गत रोजगार प्रदान किए जाने वाले लोगों के कौशल विकास के सम्बंध में भी योजनाएं बनाई जाएंगी। एमजीनरेगा योजना के अंतर्गत राशि के आबंटन को बढ़ाने से रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे एवं इससे अधिक से अधिक लोगों के हाथों में पैसा आएगा और उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ेगी और अंततः आर्थिक विकास दर में वृद्धि दृष्टिगोचर होगी।
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चौथे, ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायतों के कार्य को सुगम बनाने के उद्देश्य से डिजिटल आधारभूत ढांचे को खड़ा करने के कार्य को अब तेजी प्रदान करना आवश्यक हो गया है। जन धन योजना के अंतर्गत 40 करोड़ से अधिक खाते बैंकों में खोले जा चुके हैं इससे ग्रामीण इलाकों में किसान मजबूत हुए हैं क्योंकि अब उनके खातों में केंद्र सरकार द्वार सहायता राशि सीधे ही जमा की जा रही है। देश में वित्तीय अर्थव्यवस्था धीरे धीरे डिजिटल होती जा रही है। इस तरह की सुविधाएं अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ने में मदद कर रही हैं। अब तो ग्रामीण इलाकों में भी बिजली हर समय उपलब्ध रहे एवं इंटरनेट की सुविधा भी हर समय मिलती रहे, इसके प्रयास इस बजट के माध्यम से निश्चित ही किए जाएंगे। देश में सौर्य ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा तो दिया जा रहा है परंतु इस वर्ष के बजट के माध्यम अतिरिक्त राशि आबंटन कर सौर्य ऊर्जा के उत्पादन को गति दिए जाने के प्रयास भी इस बजट के माध्यम से किए जाएंगे। डिजिटल आधारभूत ढांचे का कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान हो सकता है एवं इसके माध्यम से कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध हो सकता है एवं किसानों को उनकी पैदावार का उचित मूल्य प्राप्त हो सकता है। सरकार द्वारा भी ई-कृषि मंडी, ई-पंचायत आदि नई नई योजनाएं लागू की जा रही हैं ताकि हमारे ग्रामीण क्षेत्र का विकास डिजिटल आधारभूत ढांचे के माध्यम से हो सके। वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट के माध्यम से इन प्रयासों को और अधिक गति प्रदान की जाएगी।
पांचवे, विशेष रूप से भारत में पंचायत व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि हमारे देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामों में निवास करती है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पंचायतों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से पंचायतों के अधिकार बढ़ाए जाने चाहिए। देश में पंचायत बन तो गए हैं किंतु इनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बहुत अच्छे परिणाम दिखाई नहीं दे रहे हैं। संघीय ढांचे में इनकी महत्ता को बढ़ाया जाना चाहिए। केंद्र, राज्य, जिला प्रशासन के बाद पंचायतों को चौथे ढांचे के रूप में लिया जाना चाहिए। इसके लिए पंचो को भी सशक्त किए जाने की आवश्यकता है। देश के ग्रामीण विकास में पंचायतों से अपेक्षाएं बहुत हैं इसलिए ग्रामीण इलाकों में सभी लोग पंचायतों की तरफ बहुत आशावादी दृष्टि से देखते हैं लेकिन ग्राम पंचायतों अधिकार बहुत कम हैं। ग्राम पंचायतों को इतना सशक्त बना देना चाहिए ताकि इनकी राज्य एवं केंद्र सरकार पर निर्भरता कम से कम हो जाय।
हालांकि भारत में अब सड़कें, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आवास प्रदान किए जाने सम्बंधी मुद्दे ठीक से हल किए जा रहे हैं। स्पष्ट तौर पर बदलाव हो रहा है एवं साफ दिख भी रहा है। प्रधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में बहुत अच्छा काम हुआ है। ग्रामीण इलाकों में तो लगभग 100 प्रतिशत मकानों को सम्बंधित व्यक्तियों को आबंटित कर दिया गया है। इसी प्रकार प्रधान मंत्री सड़क योजना में भी बहुत अच्छा काम हुआ है। विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए फिजीकल आधारभूत ढांचा खड़ा करने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए गए हैं। आयुष योजना के अंतर्गत लागू की गई बीमा योजना का लाभ भी स्वास्थ्य सेवाओं हेतु ग्रामीण इलाकों में गरीब वर्ग द्वारा बहुत बड़ी संख्या में सफलता पूर्वक उठाया जा रहा है। “हर घर नल” योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है और वर्ष 2025 तक हर घर में नल का कनेक्शन उपलब्ध करा दिया जाएगा ताकि माताओं बहनों को 2 से 3 किलोमीटर दूर तक पीने का जल लाने के लिए नहीं जाना पड़े।
– प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी, झांसी रोड, लश्कर,
ग्वालियर- 474 009
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