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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सीपेक पर कहा कि तथाकथित सीपेक में परियोजनाओं पर हमने अपनी चिंताएं हमेशा चीन और पाकिस्तान के समक्ष उठाई हैं, जो भारतीय क्षेत्र में हैं और जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है।
हाल में ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन का दौरा किया था। इमरान खान की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात हुई थी। दोनों की मुलाकात के बाद एक संयुक्त बयान भी जारी किया गया जिसमें जम्मू कश्मीर और सीपेक का भी जिक्र था। इसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भारत ने चीन और पाकिस्तान के संयुक्त बयान में जम्मू कश्मीर तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाले एक आर्थिक गलियारे के जिक्र को दृढ़ता से खारिज किया और कहा कि क्षेत्र तथा केन्द्र शासित राज्य लद्दाख भारत के अभिन्न तथा अविभाज्य हिस्से ‘‘रहे हैं, हैं और हमेशा रहेंगे।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत इस्लामाबाद के अवैध कब्जे वाले स्थानों पर ‘‘अन्य देशों तथा पाकिस्तान द्वारा’’ यथा स्थिति को बदलने की किसी भी कोशिश का ‘‘कड़ाई से विरोध’’ करता है।
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बागची ने सीपेक पर कहा कि तथाकथित सीपेक में परियोजनाओं पर हमने अपनी चिंताएं हमेशा चीन और पाकिस्तान के समक्ष उठाई हैं, जो भारतीय क्षेत्र में हैं और जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले स्थानों पर यथा स्थिति बदलने के अन्य देशों तथा पाकिस्तान की किसी भी कोशिश का कड़ाई से विरोध करते हैं। हम संबंधित पक्षों से ऐसी गतिविधियां रोकने की मांग करते हैं। इतना ही नहीं, इमरान खान का कश्मीर प्रेम कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। भारत की ओर से लगातार मिल रहे करें जवाब के बावजूद इमरान खान कश्मीर को लेकर लगातार बयान देते रहते हैं। इमरान खान ने कहा कि सत्ता संभालने के बाद भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। लेकिन दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद एक बड़ा मसला है। खान ने 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) और ग्वादर बंदरगाह को लेकर पश्चिमी देशों के ‘‘संदेह’’ को खारिज करते हुए कहा कि ये परियोजनाएं क्षेत्रीय विकास के लिए बड़ा अवसर हैं।
दूसरी ओर भारत ने सीपेक को लेकर चीन के समक्ष विरोध जताया है क्योंकि यह परियोजना कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से से होकर गुजरती है। चीन के मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में उइगर के नरसंहार पर अमेरिका तथा यूरोप के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा कि प्रांत की उनकी यात्रा के बीच चीन में पाकिस्तान के राजदूत से मिली खबरें ‘‘पूरी तरह अलग’’ हैं। चीन के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर खान ने कहा कि दोनों देशों के बीच दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है। उन्होंने कहा कि 70 वर्षों में चीन के साथ संबंध निरंतर रहे हैं, चाहे कोई भी सरकार सत्ता में रही हो। अमेरिका तथा चीन के साथ संबंधों में संतुलन बनाने के एक सवाल पर प्रधानमंत्री खान ने कहा कि पाकिस्तान 70 के दशक में दोनों प्रतिद्वंद्वियों को साथ लाने में निभाई गयी अपनी भूमिका को दोहराना चाहेगा।
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वहीं चीन ने कश्मीर मुद्दे का हल उपयुक्त और शांतिपूर्ण तरीके से करने की बात कही, जबकि स्थिति को जटिल बनाने वाली एकपक्षीय कार्रवाईयों का विरोध किया। दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग सहित शीर्ष चीनीनेतृत्व के साथ वार्ता की। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, खान के साथ अपनी बैठक में शी ने कहा कि चीन राष्ट्रीय आजादी, संप्रभुता, गरिमा की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान का दृढ़ता से समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि चीन सीपीईसी के पूर्ण विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाने को तैयार है।
– अंकित सिंह
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