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चुनावों में सिद्धू से लेकर बादल परिवार और अमरिंदर के बीच वर्चस्व की लड़ाई

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चुनावों में सिद्धू से लेकर बादल परिवार और अमरिंदर के बीच वर्चस्व की लड़ाई

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डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब में इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव 2017 के चुनावों से अलग है और अब यहां शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रकाश सिंह बादल उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल , कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू तथा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक पैंतरों पर सबकी नजर हैं। राज्य में 20 फरवरी को मतदान होगा।

इस बार पहले की तरह आम आदमी पार्टी ने लोगों को मुफत बिजली पानी के वादे के साथ महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपए पेंशन देने के वादे से लुभाने की कोशिश की है । यह बात अलग है कि 2017 में उसके निर्वाचित विधायकों की संख्या अब घटकर 20 से 13 रह गई है। आम आदमी पार्टी से जो विधायक अलग हुए हैं उन्होंने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर तानाशाही और अहंकारी होने का आरोप लगाया है।

राज्य की जिन सीटों पर घमासान मचा हुआ है उनमें अमृतसर (पूर्व) शामिल है जहां से कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नवजोत सिद्धू इसे बरकरार रखने की दौड़ में हैं। पटियाला (शहरी), कांग्रेस के बागी कैप्टन अमरिंदर सिंह का शाही गढ़ है जो अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) भारतीय जनता पार्टी और शिअद (संयुक्त) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे है। आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान पहली बार धुरी सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। इसके अलावा चमकौर साहिब सीट पर भी सब की नजर है जहां से कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी इसे बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं।

पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल बादल, जो इस समय कोविड से जूझ रहे हैं, उनके अपने गढ़ लांबी से शिअद के उम्मीदवार होने की संभावना है। उनके बेटे सुखबीर अपनी सुरक्षित सीट जलालाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसे उन्होंने 2017 में 18,500 वोटों से जीतकर आप के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भगवंत मान को हराया था। इस बार आप ने सुखबीर बादल के खिलाफ गोल्डी कंबोज को खड़ा किया है, जबकि कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है और भाजपा ने यहां से पूरन चंद को मैदान में उतारा है।

शिअद ने अभी तक लांबी सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जबकि कांग्रेस और आप ने जगपाल सिंह अबुलखुराना और गुरमीत सिंह खुददियां को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कैप्टन अमरिंदर सिंह को 2017 में प्रकाश सिंह बादल से 22,770 मतों के भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 में दूसरी सीट अपने शाही निर्वाचन क्षेत्र पटियाला (शहरी) से भी चुनाव लड़ा था और 72,217 मतों के साथ इसे बरकरार रखा था।

कैप्टन अमरिन्दर के निकटतम प्रतिद्वन्दी आप के बलबीर सिंह को मात्र 19,852 वोट मिले थे और शिअद उम्मीदवार तथा पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जे.जे. सिंह (सेवानिवृत्त), जो अब भाजपा में हैं, उनकी जमानत जब्त हो गई थी। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस अभी भी कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ अपने उम्मीदवार की घोषणा करने के लिए संघर्ष कर रही है। वह पिछले साल सितंबर में नवजोत सिद्धू के साथ सत्ता के कड़े संघर्ष कांग्रेस से अलग हो गए थे। पटियाला (शहरी) से, शिअद के हरपाल जुनेजा और शिअद से नाता तोड़कर आप में शामिल हुए पटियाला के पूर्व मेयर अजीतपाल सिंह कोहली को अमरिंदर सिंह के खिलाफ खड़ा किया गया है।

कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर के दबदबे के कारण 2017 में पटियाला जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सात में जीत हासिल की थी। कांग्रेस एक-दो दिन में जारी होने वाली अपनी दूसरी सूची में पटियाला (शहरी) के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है। शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने पिछली बार मार्च में जलालाबाद से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। वह फिरोजपुर से मौजूदा सांसद हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने 2009 के उप-चुनाव, 2012 और 2017 में तीन बार जलालाबाद सीट का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद 2019 में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू, 2012 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई अमृतसर (पूर्वी) सीट को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने 2017 में न केवल अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी राजेश हनी को 42,000 से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराया, बल्कि अमृतसर जिले की 11 में से 10 सीटें जीतकर पार्टी के लिए गेम-चेंजर की भूमिका भी निभाई। यह पूरा क्षेत्र कभी शिअद-भाजपा गठबंधन का गढ़ हुआ करता था।

गांधी परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले सिद्धू, पंजाब में 2017 की पुनरावृत्ति सुनिश्चित करके कांग्रेस की किस्मत को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सबसे चर्चित सीट मुख्यमंत्री चन्नी की चमकौर साहिब है, जो एक आरक्षित सीट है जिसे उन्होंने लगातार तीन बार जीता है। वह फिलहाल अवैध बालू खनन को लेकर चर्चा में है। पिछले साल 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद श्री चन्नी का मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई थी। वह अनुसूचित जाति की 32 प्रतिशत आबादी वाले पंजाब राज्य के अनुसूचित जाति के पहले मुख्यमंत्री हैं।

इस बार आप ने उनकी बिरादरी वाले उमीदवार पेशे से डॉक्टर चन्नी को चन्नी के खिलाफ खड़ा किया है, जिन्होंने 2017 में उन्हें 12,308 वोटों से हराया था। सबसे दिलचस्प मुकाबला धुरी में है, जिस पर 2012 से कांग्रेस का कब्जा था और अब यहां से आप के मुख्यमंत्री के चेहरे भगवंत मान पहली बार मैदान में हैं। संगरूर से दो बार के सांसद, मान को पार्टी का सबसे लोकप्रिय पंजाबी चेहरा माना जाता है।

अपने रिश्तेदार के घर पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी पर चन्नी को आड़े हाथ लेते हुए मान उन्हें धुरी से उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहे हैं। कॉमेडियन से राजनेता बने भगवंत मान कांग्रेस के मौजूदा विधायक गोल्डी के नाम से मशहूर दलवीर खंगुरा को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. पंजाब में 117 सीटों के लिए तीन प्रमुख दल – सत्तारूढ़ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और संयुक्त समाज मोर्चा, और दो गठबंधन – शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी (शिअद-बसपा) और भाजपा- पंजाब लोक कांग्रेस चुनावी रण में एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

(आईएएनएस)

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