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नेपाली सरकार की एक रिपोर्ट में चीन पर दोनों देशों की साझा सीमा से लगे नेपाल में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया है। नेपाली सरकार की एक रिपोर्ट में चीन पर दोनों देशों की साझा सीमा से लगे नेपाल में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया है।
हमारा सबसे पुराने हमसाया दोस्त नेपाल के कंधे पर हाथ रखकर चीन भारत को निशाने पर लेने की कोशिश में तो काफी पहले से लगा था। लेकिन अब उसने नेपाल की ही जमीन पर कब्जा कर लिया है। नेपाली सरकार की एक रिपोर्ट में चीन पर दोनों देशों की साझा सीमा से लगे नेपाल में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया है। बीबीसी के अनुसार, यह पहली बार है जब नेपाल की ओर से अपने क्षेत्र में चीनी हस्तक्षेप के आधिकारिक दावे किए गए हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी नेपाल के हुमला जिले में चीन द्वारा अतिक्रमण किए जाने के दावों के बाद पिछले सितंबर में रिपोर्ट जारी की गई थी। चीन ने किसी भी तरह के अतिक्रमण से इनकार किया है। लेकिन रिपोर्ट से काठमांडू के बीजिंग के साथ बढ़ते संबंधों पर दबाव पड़ने की संभावना है। ऐसे में आज आपको दोनों देशों के सीमा का निर्धारण, चीन का अतिक्रमण और नेपाल सरकार के कबूलनामे के बारे में बताते हैं।
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केपी ओली की नीति नेपाल को पड़ी महंगी
अक्टूबर 2019 की बात है महीने की 27 तारीख को दीवाली थी। लेकिन नेपाल की राजधानी काठमांडू में करीब एक पखवाड़े पहले ही दिवाली का माहौल बन गया था। रंग रोगन का काम चल रहा था, गड्ढे भरे जा रहे थे। कुल मिलाकर बोलचाल की भाषा में कहें तो एकदम चकाचक बनाने की तैयारी हो रही थी। यह सारी तैयारी पड़ोसी देश से आ रहे खास मेहमान के लिए थी। खास मेहमान थे शी जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति। उनसे पहले 1996 में आए थे जियांग जेमिन दोनों राष्ट्रपतियों के नेपाल आने के बीच 23 साल का फासला रहा। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह थी नेपाल और भारत की दोस्ती। कुछ सालों में यह समीकरण बदलने लगा और दोनों देशों के बीच रिश्तों में ठंडापन आ गया। नेपाल की गर्मजोशी उसकी उत्तर की दिशा यानी चीन के तरफ शिफ्ट होती चली गई। चीन के दबाव में अपने फैसले लेने लगा नेपाल। जिसका परिणाम बीते कुछ दिनों में उसके आपत्तियों, बयान और बर्ताव में नजर आने लगा। नेपाल की केपी ओली के नेतृत्व वाली पूर्वोत्तर सरकार ने भारत की बजाए चीन की गोद में बैठना ज्यादा मुफीद समझा। लेकिन अपनी आदत से मजबूर ड्रैगन ने उसी को दगा दे दिया।
चीनी कब्जे को सही पाया
पिछले साल सितंबर में नेपाल सरकार ने हुमला के उत्तरी हिस्से में स्थित नेपाल-चीन सीमा के संबंध में अध्ययन के लिए गृह सचिव के नेतृत्व में सात सदस्यीय समिति बनाई थी। हुमला पर चीन के अतिक्रमण के बाद नेपाल सरकार की तरफ से एक जांच टीम भेजा गया था। नेपाल सरकार के दावे के अनुसार चीन ने वहां उसकी जमीन पर इमारतें बना ली हैं। इस जांच रिपोर्ट में न केवल चीनी कब्जे को सही पाया गया है, बल्कि यह भी पता चला कि ड्रैगन नेपाल की जासूसी करने में भी लगा हुआ है। यही चीनी सैनिकों ने नेपाल के लालूंगजोंग इलाके में पूजा करने से भी नेपाली लोगों को रोक दिया है। कैलाश पर्वत के पास होने की वजह से परंपरागत रूप से लोग इस जगह पर पूजा करने जाते रहे हैं।
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नेपाल चीन साझा करते हैं 1439 किमी सीमा
नेपाल और चीन के बीच की सीमा हिमालय पर्वत से 1,400 किमी तक है। 1960 के दशक की शुरुआत में दोनों देशों के बीच कई संधियों पर हस्ताक्षर हुए। नेपाली सरकार ने संभावित चीनी अतिक्रमण की रिपोर्ट के बाद हुमला नेपाली सेना को तैनात किया जाए ताकि वहां के लोगों को सुरक्षा की गारंटी जा सके। कुछ लोगों ने दावा किया कि चीन ने सीमा के नेपाली हिस्से में कई इमारतों का निर्माण किया था।
कई सीमावर्ती जिलों में अवैध चीनी कब्जा देखने को मिला है
गोरखा
रसुआ
दुलाखा
दारचुला
होमला
सिंधुपाल चौक
संखूवासाभा
नेपाल की जासूसी करने में भी लगा ड्रैगन
जांच रिपोर्ट में न केवल चीनी कब्जे को सही पाया गया है, बल्कि यह भी पता चला कि ड्रैगन नेपाल की जासूसी करने में भी लगा हुआ है। कुछ इलाक़ों में यह भी पाया गया है कि चीन एक बॉर्डर पिलर के पास बाड़ बना रहा है और नेपाली इलाक़े में एक नहर के साथ रोड बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन टास्कफ़ोर्स ने पाया कि चीनी इमारतों को नेपाली इलाक़े में बनाने की बात कही जा रही थी, वे इमारतें चीन के इलाक़े में ही बनी हैं।
सेना की तैनाती करेगा नेपाल
रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि चीन नेपाली किसानों को अपने पशुओं को चराने से भी रोक रहा है। कुछ इलाकों में चीन ने नेपाली सीमा पिलर के पास बाड़ भी लगा दिया है। चीन नेपाली सीमा के अंदर एक नहर और सड़क बनाने का प्रयास कर रहा है। जांच दल ने हालांकि यह पाया कि चीन की इमारत चीन के इलाके में है। स्थानीय नेपाली लोग चीन के बारे में बात करने से भी कतरा रहे हैं क्योंकि वे सीमा के उस पार चीनी बाजार पर निर्भर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इलाके में नेपाली सेना को तैनात किया जाए ताकि वहां के लोगों को सुरक्षा की गारंटी जा सके।
नेपाल में अतिक्रमण की खबरों से झल्लाया चीन
चीन ने कहा है कि दोनों देशों ने 1960 के दशक की शुरुआत में ही मैत्रीपूर्ण परामर्श के जरिए सीमा मुद्दे को सुलझा लिया है और अब कोई विवाद नहीं है। दोनों देशों के विदेशी अधिकारी बॉर्डर संबंधित मामलों पर संचार बनाए रखते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि नेपाली लोग व्यक्तिगत झूठी रिपोर्टों से गुमराह नहीं होंगे। नेपाल पर लगाए गए नाकेबंदी को लेकर जियाओलिंग ने कहा है कि चीनी पक्ष ने बड़ी मुश्किल से नेपाल के लिए एकतरफा माल परिवहन खोला और बंदरगाहों की कार्गो हैंडलिंग क्षमता को लगातार बढ़ाया है।
वैसे तो नेपाल स्वयं में एक छोटा राष्ट्र है जो एक तरफ भारत तथा दूसरी तरफ चीन से घिरा हुआ है। चूंकि भारत एवं चीन मौलिक रूप से एक दूसरे के परस्पर विरोधी साबित हुए हैं, इसके चलते आधुनिक समय में नेपाल के अंदर किसी भी प्रकार की अस्थिरता उत्पन्न होने की प्रबल संभावना बनी होती है।
-अभिनय आकाश
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