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डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी), जिसने उत्तर प्रदेश से अलग पहाड़ी राज्य के गठन के लिए संघर्ष की शुरुआत की और नेतृत्व किया, वह इस साल के विधानसभा चुनावों में अपने राजनीतिक भाग्य पलटने की उम्मीद कर रही है। यूकेडी का मानना है कि उत्तराखंड में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवेश और राज्य सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पार्टी की मदद करेगी। साल 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में यूकेडी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई थी।
यूकेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय कुमार बाउरी ने आईएएनएस को बताया कि एक दर्जन से अधिक सीटों पर पार्टी के मजबूत उम्मीदवार खड़े किए गए हैं और उम्मीद है कि पार्टी उत्तराखंड विधानसभा में फिर से प्रवेश करेगी। बाउरी ने कहा, इस चुनाव में यूकेडी को लगभग 12-15 विधानसभा सीटों पर मजबूती से खड़ा किया गया है। हमारे कुछ उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हैं, क्योंकि यहां मजबूत सत्ता विरोधी लहर है और कांग्रेस के खिलाफ लोगों के गुस्से का भी फायदा होगा।
इस साल के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में यूकेडी ने 49 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़े किए हैं और दो विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों को समर्थन दिया है। यूकेडी का मानना है कि उत्तराखंड में लोगों के बीच देश के अन्य राज्यों की तरह क्षेत्रीय भावनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना या महाराष्ट्र जैसे उत्तराखंड में एक मजबूत क्षेत्रीय भावना है। लोग दोनों पार्टियों – भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ गुस्से में हैं और यूकेडी को एक क्षेत्रीय विकल्प के रूप में देख रहे हैं, जिससे हमें भी चुनाव में फायदा होगा।
उनका दावा है कि लोग आप को उत्तराखंड की पार्टी मानने तैयार नहीं हैं और उसे दिल्ली की पार्टी कह रहे हैं। बाउरी ने कहा, आप बाहर से है.. राज्य में क्षेत्रीय दलों के लिए जगह भरने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम उत्तराखंड में एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी हैं। लोग कह रहे हैं कि वे (आप) उत्तराखंड के बारे में क्या जानते हैं। आप के प्रवेश के बाद लोगों ने नए प्रवेशकों के बजाय यूकेडी को कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है।
यूकेडी का गठन जुलाई 1979 में मसूरी में हुआ था और 2000 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन उत्तराखंड के 22 साल पुराने इतिहास में यूकेडी कभी भी बहुमत हासिल करने के करीब नहीं पहुंचा, हालांकि इसने राज्य में समय-समय पर सरकार बनाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों की मदद की।
(आईएएनएस)
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